पर्यावरण के नुकसान

मानव द्वारा प्रकृति से अधिक छेड़-छाड़ के परिणामस्वरूप कुछ गम्भीर विनाशकारी प्रक्रियाएँ जैसे सुनामी, जंगल में आग लगना, बाढ़, भूमंडलीय ताप के कारण सूखा, समुद्र तल का उठना, ओजोन परत का क्षय जो कैंसर का कारण बनती हैं, जन्म लेती हैं। इसके अलावा मृदा के दूषित होने से भूमि की क्षति भी होती है। निर्माण उद्योग इन पर्यावरण समस्याओं में एक बहुत बड़ा योगदान देते हैं। निर्माण सामग्री के अधिक उपयोग के कारण साधनों का विस्तृत क्षय होता है। विश्व भर में एक वर्ष में निर्माण सामग्री 10 लाख टन अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न करती है। निर्माण सामग्रियों के उत्पादन में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जिसके परिणामस्वरूप अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है तथा स्टील और सीमेंट की उत्पादन ऊर्जा क्रमशः 32 व 7,8 MJ/Kg होती है। सीमेंट सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करता है। निर्माण सामग्रियों की प्रक्रिया और इनके परिवहन में सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। यदि संपूर्ण विश्व में निर्माण सामग्रियों की खपत इसी तरह से होती रही तो वर्ष 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन 3-5 अरब मीट्रिक टन पहुँच जायेगा लेकिन निर्माण सामग्रियों का वार्षिक उत्पादन और खपत साथ-साथ बढ़ रही है। सीमेंट का वार्षिक उत्पादन 5 अरब मीट्रिक टन के ऊपर पहुँच जायेगा। जिससे लगभग 4 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होगी। निर्माण सामग्रियों में सीमेंट का प्रचुर मात्रा में प्रयोग होने के कारण इसका वातावरण पर दूसरे अन्य स्रोतों की तुलना में अधिक प्रभाव होता है। मानव की जीवन शैली में परिवर्तन के कारण इमारतों की औसत आयु घट रही है जिसके परिणामस्वरूप इमारतों को ध्वस्त किया जाता है और पुनः अच्छी अवस्था में लाया जाता है। इस प्रक्रिया का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

निर्माण सामग्रियों का वातावरण पर प्रभाव

निर्माण प्रदूषण मुख्यतः निम्न दो प्रकार के निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न होता है।

इमारत निर्माण प्रदूषण: इमारत निर्माण कार्यों के दौरान हुए प्रदूषण को इमारत निर्माण प्रदूषण कहते हैं। इमारतों की ध्वस्त अवस्था भी इस प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न करती है।

सड़क निर्माण प्रदूषण: जहाँ सड़क निर्माण कार्य होता है। उन क्षेत्रों में उत्पन्न प्रदूषण को सड़क निर्माण प्रदूषण कहते हैं। सड़क और इमारत निर्माण कार्यों में प्रयुक्त की गई निर्माण सामग्रियाँ मुख्यतः वायु जल और ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।


*वायु प्रदूषण*

: जिस वायु को हम श्वास द्वारा ग्रहण करते है, निर्माण कार्यों के कारण वह प्रदूषित हो सकती है। वायु प्रदूषण में जो निर्माण प्रक्रियाएं योगदान देती हैं, वे हैं: भूमि साफ करना, डीजल इंजनों का चलाना, इमारतों को ध्वस्त करना, आग जलाना और विषैले पदार्थों के साथ कार्य करना। सभी निर्माण क्षेत्र उच्च स्तर की धूल उत्पन्न करते हैं (कंक्रीट, सीमेंट, लकड़ी, पत्थर, सिलिका आदि से)। निर्माण से संबंधित धूल को PM-10 के रूप में वर्गीकृत किया गया है (PM-10 विविक्त द्रव्य जिनका व्यास 10 माइक्रोन से कम होता है), इन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता। मुख्य निर्माण प्रदूषणकारी तत्व जो हवा द्वारा वातावरण में फैलते हैं, इस प्रकार हैं विविक्त द्रव्य के साथ बंधे वाष्प्शील कार्बनिक यौगिक, ऐस्बेस्टस, गैसें जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड। ये प्रदूषणकारी तत्व हवा द्वारा दीर्घकाल के लिये बहुत दूरी तक वातावरण में फैल जाते हैं और ये उन क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित करते हैं जिस दिशा में हवा का बहाव होता है।

एक शोध के अनुसार PM-10 श्वसन द्वारा फेफडों में भीतर तक प्रवेश करके अनेक स्वास्थ्य समस्यायें जैसे श्वसन रोग, दमा, ब्रॉकाइटिस, कैंसर आदि उत्पन्न करते हैं। निर्माण क्षेत्रों में PM-10 का एक बहुत बड़ा स्रेात वाहनों और उपकरणों के डीजल इंजन से उत्पन्न धुआँ है। इसे डीजल विविक्त द्रव्य कहते हैं। इनमें कालिख सल्फेट और सिलिकेट्स होते हैं जो वातावरण के अन्य विषैले पदार्थों से मिलकर श्वास द्वारा अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को उत्पन्न करते हैं। डीजल कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजनऑक्साइड और कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन के लिये भी जिम्मेदार हैं।

जल प्रदूषण

निर्माण क्षेत्रों में और उसके समीप का भूमिगत जल और सतह पर बहता जल निर्माण कार्यों में प्रयुक्त निर्माण सामग्रियों द्वारा प्रदूषित कार्बनिक यौगिक, पेन्ट, सरेस, डीजल, तेल, दूसरे विषैले रसायन और सीमेंट ये प्रदूषक बहते जल को गंदा करते हैं और सतह एवं भूमिगत जल को प्रभावित भी करते हैं (क्योंकि बहता हुआ जल सतहों पर छनकर भूमिगत जल में मिल जाता है)। भूमिगत जल और सतह पर बहता जल निर्माण क्षेत्रों से निकले प्रदूषण के स्रोत को कम कर सकते हैं घरेलू और पालतू पशु इस दूषित जल को पीते हैं जो कि उनके लिये घातक होता है और इससे वहाँ की मृदा भी दूषित हो जाती है। इसके अतिरिक्त भूमिगत जल दूषित होने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे चारों तरफ की आबोहवा भी प्रभावित होती है। (जल से निकले वाष्पशील प्रदूषक तत्व आस-पास की हवा में फैल जाते हैं)। कुल मिलाकर निर्माण क्षेत्रों से उत्पन्न जल प्रदूषण को कम नहीं आंका जा सकता बल्कि इनमें गम्भीर वातावरणीय समस्याओं को पैदा करने की क्षमता होती है।

ध्वनि प्रदूषण

निर्माण उपकरणों द्वारा किया गया शोर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। दूसरे स्रोत जो सुनने की क्षमता को प्रभावित करते हैं वे निर्माण क्षेत्रों में हुई विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे निर्माण परिवर्तन, इमारतों को ध्वस्त करना और दूसरी संबंधित क्रियाओं जैसे भूमि साफ करना, उनके कार्यस्थल तैयार करना, खुदाई करना और क्षेत्रफल सौन्दर्यकरण आदि करने के लिये जो उपकरण प्रयोग किये जाते हैं उनके द्वारा होता है क्योंकि निर्माण उपकरण बाहर खुले स्थानों पर चलाये जाते हैं। अतः ये निर्माण क्षेत्रों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के अलावा दूसरे लोगों को भी प्रभावित करते हैं। ध्वनि प्रदूषण सुनने का क्षय, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और तनाव उत्पन्न करता है। शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि ध्वनि प्रदूषण जानवरों की प्रकृति को भी प्रभावित करता है।
मृदा प्रदूषण

निर्माण क्षेत्रों के चारों तरफ की मृदा वायु प्रवाह के कारण दूषित हो सकती है क्योंकि वायु में उपस्थित निर्माण सामग्रियों से उत्सर्जित दूषित तत्व आस-पास की मृदा में जमा हो जाते हैं। इसी प्रकार दूषित जल के बहने से भी मृदा दूषित हो जाती है। मृदा में उपस्थित दूषित पदार्थ लम्बे समय तक बने रहते हैं जैसे पॉलीएरोमैटिक हाइड्रोकार्बन।


निष्कर्ष

निर्माण उद्योग ऊर्जा को खपत करने वाला तीसरा बड़ा उद्योग है। इस उद्योग द्वारा हुये शहरीकरण से पृथ्वी के तापमान में भी वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त इस उद्योग में प्रयोग की जाने वाली निर्माण सामग्रियाँ पर्यावरण प्रदूषण के लिये उत्तरदायी होती है। निर्माण सामग्रियों से संबंधित मुख्य वातावरणीय समस्याओं में वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण है। विभिन्न निर्माण सामग्रियाँ जैसे-कंक्रीट, सीमेंट, सिलिका पत्थर, लकड़ी आदि से अत्यन्त छोटे विविक्त द्रव्य उत्पन्न होते हैं जो श्वसन रोग, दमा, ब्रोकोइटिस, कैंसर आदि बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त इन सामग्रियों के उत्पादन और प्रयोग के दौरान नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक, अमोनिया और ग्रीन हाउस गैसें आदि उत्सर्जित होती है जो पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालती है। निर्माण क्षेत्रों में चलने वाले भारी उपकरण और वाहन ध्वनि प्रदूषण करते हैं। ध्वनि प्रदूषण सुनने की क्षमता का क्षय, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और तनाव उत्पन्न करता है। पर्यावरण को सुरक्षित उपायों द्वारा दूषित होने से बचाया जा सकता है।

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