Devine play of God Kabir
कबीर जी जब 5 वर्ष की आयु के थे उस समय उन्होंने 104 वर्ष की आयु के रामानंद जी के साथ ज्ञान चर्चा की,अपना परिचय करवाया तथा सतलोक दिखाया तब रामानंद जी को दृढ़ विश्वास हुआ कि कबीर साहिब ही सृष्टि रचनहार पूर्ण ब्रह्म हैं।
सम्मन ने अपने परमेश्वर रूप सतगुरु के लिए अपने बेटे की कुर्बानी की थी। जिस कारण अगले जन्म में नौशेरखान शहर के राजा के घर जन्मा। फिर ईराक देश में बलख नामक शहर का राजा अब्राहिम सुल्तान बना। परमात्मा ने उस आत्मा के लिए अनेकों लीलाएं की और उसका उद्धार किया।
तेरह गाड़ी कागजों को लिखना एक बार दिल्ली के बादशाह ने कहा कि कबीर जी ढ़ाई दिन में तेरह गाड़ी कागजों को लिख दे तो मैं उनको परमात्मा मान जाऊंगा । उसी समय सर्व कागजों में अमृतवाणी सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान लिख दिया।
परमात्मा कबीर परमेश्वर जी ने अपनी प्यारी आत्मा मीराबाई जी को शरण में लेने के लिए रविदास जी के साथ उसी नगरी में सत्संग किया परमेश्वर के ज्ञान से प्रेरित होकर मीरा बाई जी ने नाम उपदेश लिया और अपना कल्याण करवाया
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